बरसाने की लठामार होली में बही प्रेम, शौर्य और संगीत की त्रिवेणी



 


मथुरा।राधारानी की क्रीड़ास्थली बरसाने में प्रेम, शौर्य एवं संगीत की ऐसी त्रिवेणी प्रवाहित हुई कि देश विदेश से आए लाखों कला प्रेमी भाव विभोर हो गए।

जिलाधिकारी सर्वज्ञराम मिश्र ने बताया कि तथा कहीं पर भी किसी प्रकार की अप्रिय घटना नही घटी तथा पूरा मेला शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ।


देश के विभिन्न भागों से आए तीर्थया़त्रयों के लिए महिलाओं को लाठी चलाना एक अनूठा अनुभव था क्योंकि होली जैसे प्रेम के त्योहार में लाठी चलाने की कल्पना नही की जा सकती । उन्हे यह पता नही था कि यह प्रेम भरी लाठी थी जो हुरिहारों पर केवल इसलिए चलाई जा रही थी कि वे रंग डालकर गोपियों के नये वस़्त्र खराब न करें। गोपियां प्रेम पगी लाठी का वार केवल ढाल पर कर रही थीं तथा इस बात का उन्हें पूरा ध्यान था कि कहीं किसी हुरिहार का चोट न लग जाए। वैसे विदेशी पर्यटक उस समय आश्चर्यचकित थे जब एक हुरिहार पर दो या तीन गोपियां लाठी से प्रहार कर रही थीं और वह फुदक फुदक कर उनके वार को बराबर बर्दास्त कर रहा था।


इसी बीच रसिया के स्वर गूंज उठे


फाग खेलन बरसाने आए हैं नटवर नन्द किशोर


एक ओर प्रेम पगी लाठियां चल रही थीं तो दूसरी ओर होली के रसिया गूंज रहे थे


आज बिरज में होरी रे रसिया।


होरी रे रसिया बरजोरी रे रसिया,


आज बिरज में होरी रे रसिया।


और इसी वातावरण में कुछ गोप और कुछ गोपियां रह रहकर नृत्य कर उठती थीं जिससे वातावरण मस्ती से भर जाता था। आसपास की छतों से उड़ता सतरंगी गुलाल, टेसू के फूलों का रंग, बम्ब पर रसिया गायन ऐसा दृश्य उपस्थित कर रहा था जैसा तीन लोक में भी नही देखने को मिलेगा इसीलिए हुरिहार गा रहे थे


ऐसो रंग बरसे बरसाने जेसो तीन लोक में नाय।


आज सुबह नन्दगांव से हुरिहार झंडी के साथ जब बरसाने को रवाना हुए तो वातावरण मस्ती से भरा हुआ था।वे गा रहे थे


होरी खेलो तो चलो बरसाने जहां हो रही रंगीली होरी।


बरसाने में उनके पहुंचने पर पीली पोखर पर बरसानेवासियों ने उनका स्वागत ठंढ़ाई भाग आदि से किया तो सभी हुरिहारों ने अपनी ढ़ाल ठीक की और फिर रसिया गाते लाड़ली जी मंदिर पहुंचे जहां एक घंटे तक समाज गायन हुआ। इसके बाद वहीं से रंग की होली शुरू हो गई। हुरिहार रंगीली गली के लिए रवाना हुए तो रास्ते में खड़ी गोपियों से हंसी ठिठोली करते जा रहे थे । बीच बीच में गोपियां उन्हें लाठियों से कोंच रही थीं। उनके रंगीली गली में पहुंचने पर लठामार होली शुरू हुई जो सूर्यास्त होते ही नन्द के लाला की जय से समाप्त हुई।


लाडली मंदिर बरसाना के रिसीवर कृष्ण मुरारी गोस्वामी ने बताया कि गुरूवार को  दस कुंतल लड्डू का प्रसाद राधारानी को लगाया गया और फिर उसकी जगमोहन से एक प्रकार से बरसात सी हुई जिसे श्रद्धालुओं ने लूट लूटकर खाया और एक दूसरे पर प्रहार भी किया।