नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल सरकार ने विधानसभा चुनाव २०१५ के दौरान जनता से लुभावने ७० वायदे किए थे। लेकिन पब्लिक पॉलिसी रिसर्च सेंटर (पीपीआरसी) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि दिल्ली सरकार ७० में से ६७ वायदों को पूरा करने में नाकाम रही है।
दिल्ली सरकार ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए अपने काम को सबसे अच्छा बताया है, लेकिन रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ये वायदे भी पूरी तरह सही नहीं हैं क्योंकि जमीनी स्थिति कुछ और है।
ध्यान देने की बात है कि आम आदमी पार्टी ने २०१५ विधानसभा चुनाव के दौरान ७० प्वाइंट एक्शन प्लान जनता के समक्ष रखा था जिसमें पूरी दिल्ली में फ्री वाई-फाई देने की योजना पर खूब चर्चा हुई थी।
दिल्ली सरकार के वायदों पर एक रिपोर्ट जारी करते हुए पीपीआरसी के निदेशक डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार शिक्षा में सबसे बड़ा सुधार करने का दावा करती है, जबकि सच्चाई यह है कि ५०० नए स्कूल बनवाने का वायदा किया गया था
जबकि केवल ५ फीसद स्कूलों में ही काम शुरू हो पाया है। दिल्ली के स्कूलों से पास बच्चों में से केवल ०.१३ फीसद बच्चों को ही शिक्षा लोन दिया है। २० नए डिग्री कॉलेज के वायदे में से एक के लिए भी काम नहीं शुरू हुआ है जबकि टीचरों की जरूरत के आधे से भी कम पदों पर नियुक्तियां की गई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इसी प्रकार दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य का दावा भी बेहद खराब स्थिति में है।
अस्पतालों में बिस्तरों को बढ़ाने के किए वायदों में ६० प्रतिशत से ज्यादा की पूर्ति नहीं की गई है। मोहल्ला क्लीनिक पर जमीनी स्थिति बहुत खराब है। अनेक मोहल्ला क्लीनिकों पर डॉक्टरों, दवाओं, और अन्य सुविधाओं के नाम पर खर्च तो बहुत हो रहा है लेकिन अनेक मोहल्ला क्लीनिकों में आवारा पशु घूम रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश में आयुष्मान योजना से लगभग २० लाख परिवार लाभ उठा चुके हैं, दिल्ली सरकार ने अपने ही नागरिकों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दिया है। इस योजना में पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त कराया जा सकता है।
दिल्ली सरकार के बहुप्रचारित मुफ्त वाईफाई की योजना एक भी जगह पर शुरू भी नहीं हो सकी है। जबकि महिला सुरक्षा और सीसीटीवी पर भी स्थिति बेहद चिंताजनक है। लोगों की तरफ से पानी न मिलने और सीवर की गंदगी से मिले पानी की आपूर्ति की शिकायतों में ५० फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।