ग्वालियर। अपने दूसरे कार्यकाल में पार्षदों का लगातार विरोध झेल रहे विवेक को अब उनके ही दल के पार्षदों से परेशानी आने लगी है। जहां अपने कार्यकाल में उन्होंने पार्षदों को हासिये पर रखने का प्रयास किया अब लोकसभा चुनावों में पार्षदों ने विवेक को हासिये पर ला खड़ा किया है।
भाजपा में जैसे तैसे पैराशूट की तरह लोकसभा का टिकट तो विवेक ने प्राप्त कर लिया, लेकिन अब उन्हें मैदान में जाकर अपने पार्षदों की उपेक्षा भारी पड़ रही है। इससे पूर्व भी कई बार पार्षदों ने जब जमकर उनका परिषद में विरोध किया तो उन्होंने पूरी पार्टी को एक साथ कर जैसे तैसे उन्हें मनाया और अपना काम निकाला। लेकिन लोकसभा चुनावों में आकर वह फंस से गये हैं।
अब लगता है पार्षद चुन-चुनकर उनके साथ किये अन्याय का बदला ले रहे हैं। इसे देख लगता है कि आगामी आने वाले समय में यदि भाजपा ने अपने पार्षदों को नहीं संम्हाला तो भाजपा को लेने के देने पड़ जायेंगे।
अब देखना है कि पार्टी अपनी तरफ से प्रयास कर क्या विवेक के पक्ष में पार्षदों को करेगी या फिर पार्षदों को उनके हाल पर छोड़ेगी क्योंकि पार्षदों को अब भाजपा से डर इसलिये नहीं है क्योंकि अब जल्द ही नवंबर माह में नगर निगम के चुनाव होंगे। ऐसे में पार्षद भी अपने अन्याय का बदला लेंगे या फिर विवेक को माफ करेंगे इसका इंतजार रहेगा।