लोकसभा के 2019 के चुनाव में नतीजे, एग्जिट पोल पर हाय तौबा


परिचय टाइम्स : लोकसभा के 2019 के चुनाव में नतीजे अभी आये भी नहीं हैं, केवल चैंनलो ने अपने अपने अनुमान जारी किये हैं जिनकी विश्वयनीयता भी अंतिम नहीं होती। परन्तु विपक्ष के नेताओं का बुरा हाल है। बेजान बेचारी ई वी एम पर अपनी नाकामी का ठीकरा फोड़ रहें हैं। इस चुनाव में विपक्ष का जनता के सामने केवल एक ही मुद्दा था कि च्च्मोदी हटाओ, देश बचाओज्ज्।


अब जनता च्नोटबंदीज्, च्जी एस टीज्, बेरोजगारीज् से अपने लिए तकलीफ होते हुए भी सभी परेशानियाँँ झेलते हुए भी च्च्मोदीज्ज्को च्हटानाज् नहीं चाहती तो विपक्ष क्यों चिल्लपौं कर रहा है। जनता ने अपनी वोट देने का मुद्दा यही बना लिया है कि च्च्मोदी लाओ- देश बचाओंज्ज् तो विपक्ष के नेताओं तथा कुछ तथाकथित च्च्समाज सुधारकज्ज् मोदी सरकार पर यह आरोप लगायें कि चुनाव में ई वी एम द्वारा धंधली हुई तो यह केवल इन नेताओं की हताशा है।



विपक्ष कल तक च्संवैधानिक संस्थाओंज् को बचाने की बात कर रहा था। मोदी पर इन संस्थायों को समाप्त करने का आरोप जड़ रहे हैं, वे ही चुनाव आयोग पर प्रहार कर रहे हैं, पहले भी करते रहें हैं, इसीलिये जनता इन पर यकीन नहीं करती। जनता को समझ में आ गया कि इन विपक्षी नेताओं को ही च्च्नोटबंदीज्ज् से क्यों परेशानी हो गई, परेशानी तो जनता ने भी उठाई थी।


जनता के सामने च्देश बचाओज् का नारा समझ में आ गया। उन्हें लगा कि देश को केवल मोदी ही बचा सकता है। विपक्षी नेताओं को तो केवल अपना वंश-परिवार, अपनी सम्पति बचानी है। इस चुनाव में जनता ने प्रत्याशी या पार्टी को नहीं चुना।


उन्होंने देश के नेता का चुनाव किया। विशेष तौर पर नवयुवकों ने पश्चिमी सिस्टम से प्रभावित होकर नेता को वोट किया। धु्रवीकरण हुआ है नेताओं ने अल्पसंख्यकों को खुले आम 100 तक वोट माँगा। कुछ ने मोदी का डर दिखाकर ध्रुवीकरण को हवा दी। यूथ को अच्छा नहीं लगा कि पड़ोसी देश पर सरकार की हर कार्यवाही का विपक्ष ने सबूत माँगा। मोदी ने टुकड़े टुकड़े व सबूतों, गालियों को जनता को बार बार याद दिलाकर वोटर को राष्ट्रवाद पर लाकर ऐसा खड़ा किया कि सभी च्वादज् धरे के धरे रह गए।


पूरे चुनाव में मोदी को गालियाँ व अपशब्दों का प्रयोग देश की जनता को अपने देश की संस्कृति के खिलाफ नज़र आया। विपक्ष समझ रहा है कि जैसे प्रान्तों में उनकी सरकारें जातिवाद पर बन जाती हैं वैसे ही देश की सरकार भी बननी चाहिए।


जनता का मूड देश को बचाने के लिए च्मोदी को लाना हैज्। हो सकता है कि प्रान्तों में कभी चुनाव हों तो विकास हेतु प्रांतीय पार्टियों को जनता चुनना चाहे। परन्तु मेरा अपना मत है कि इस देश में जब तक च्जनसँख्याज् की बाढ़ पर अंकुश नहीं लगेगा तब तक कोई भी सरकार पूर्णतः च्विकासज् नहीं कर पायेगी। जो विकास जनता चाहती है तो केवल किसी को भी वोट देना काफ़ी नहीं है। विकास में जनता की हिस्सेदारी बहुत आवश्यक है।



प्रो.एच.पी. गुप्ता, वी सी-आई एम ई ग्रुप ऑफ़ कॉलेजइस
सामातिक चिंतक