नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद नरेंद्र मोदी एक बार फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। हालांकि, इस बार के मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं किया गया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत के बाद फोन पर बधाई देते हुए दोनों देशों के लोगों की बेहतरी के लिए मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की थी लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी ने इमरान खान को आमंत्रित नहीं किया। समारोह में बिमस्टेक देशों को आमंत्रित कर पीएम मोदी ने पाक सख्त संदेश दे दिया है।
भारतीय पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में न्यौता ना मिलने पर पाकिस्तान अपनी शर्मिंदगी छिपाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घरेलू राजनीति उन्हें पाकिस्तानी समकक्ष को बुलाने की इजाजत नहीं देती है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, उनका पूरा चुनावी कैंपेन ही पाकिस्तान विरोध पर आधारित था। ऐसी उम्मीद करना बेवकूफी ही होगी कि वह जल्द अपने पाक विरोधी राग से छुटकारा पा सकते हैं।
पिछली बार मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी ने दोनों देशों के रिश्तों में नई शुरुआत की उम्मीदें जगाई थीं लेकिन सारी उम्मीदें चकनाचूर हो गईं।फरवरी महीने में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच गया।
पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को आम चुनाव में जीतने के बाद बधाई दी थी और एक खत भी लिखा था।उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्ते लेन-देन पर आधारित हैं और पीएम इमरान खान ने मोदी को सद्भावना के तौर पर मोदी को जीत की बधाई दी थी।
उन्होंने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से अच्छा है कि कश्मीर, सियाचिन और सर क्रीक जैसे विवादों के समाधान पर वार्ता के लिए एक बैठक की जाए।
कुरैशी ने कहा, वार्ता जारी करने का नया रास्ता निकालना भारत के लिए जरूरी है। अगर मोदी इस क्षेत्र का विकास चाहते हैं तो इसका केवल एक ही रास्ता है कि पाक के साथ बैठकर समाधान निकालने की कोशिश की जाए।
कुरैशी ने आगे कहा, यह पाकिस्तान के हित में भी है कि दोनों देशों के बीच तनाव खत्म हो जाए।पाकिस्तान ने तनाव पैदा नहीं किया। अब पूरी दुनिया यह मान रही है कि पाकिस्तान की पुलवामा हमले में कोई भूमिका नहीं थी।
पिछले सप्ताह शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अनौपचारिक बैठक हुई थी।
पुलवामा हमले के बाद से पहली बार दोनों नेताओं की मुलाकात हुई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्लामाबाद ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होने जा रहीं सुषमा स्वराज के लिए पाकिस्तानी वायु क्षेत्र को खोल दिया था।