लैगिंक अपराधो के विरूद्ध वातावरण का निर्माण करे - कमिश्नर मिश्रा


संभाग स्तरीय पाक्सो कार्यशाला संपन्न
होशंगाबाद। बालकों के साथ होने वाले लैगिंक अपराधों के विरूद्ध वातावरण का निर्माण करें, इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।


बच्चे लैगिंक अपराधो के विरूद्ध अपनी आबाज नहीं उठा पाते है इसलिए घटित घटना को छुपाने पर अपराधों को बढ़ावा मिलता है इसके लिए पॉक्सो कानून में किये गये दंड के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार हर स्तर पर किया जावे। बच्चों की सुरक्षा का दायित्व पालको एवं सरकार दोनो का ही है।


उक्त उद्गार नर्मदापुरम् संभाग के कमिश्नर रवीन्द्र कुमार मिश्रा ने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा लैगिंक अपराधों के विरूद्ध बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) 2012 के संबंध में संभाग आयुक्त कार्यालय सभाकक्ष में आयोजित संभाग स्तरीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।


संभाग स्तरीय उन्मुखीकरण सह कार्यशाला में संभागीय अधिकारियों, किशोर न्याय बोर्ड एवं बाल कल्याण समितियों के सदस्यों, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, महिला अपराध शाखा एवं बाल संरक्षण एवं देखरेख के क्षेत्र में कार्यरत अशासकीय संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भाग लिया।



कमिश्नर ने इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए पृथक से एप बनाने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिये। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा दिये गये सुझावों पर अमल किये जाने तथा पॉक्सो एक्ट के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए विभागीय प्रचार मद में उपलब्ध राशि का उपयोग किये जाने के निर्देश भी दिये।


उन्होंने कहा कि श्रम विभाग असंगठित वर्ग के श्रमिकों के बीच में भी पॉक्सो एक्ट के मुख्य प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार करें।
कार्यशाला में अपर जिला न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण होशंगाबाद के सचिव डीएस चौहान ने कहा कि यह अधिनियम बच्चों के विरूद्ध होने वाले यौन अपराधांे पर अंकुश लगाने की मंशा से बनाया गया है।


उन्होंने अधिनियम के प्रावधानों की बारीकियों से परिचित कराया। उन्होंने कहा कि कोई ऐसा बालक जिसकी आयु के संबंध में कोई प्रमाण नहीं है तो उसकी आयु का निर्धारण चिकित्सा आधार पर की गई बोन टेस्ट के अनुसार अवधारित किया जाता है। श्री चौहान ने पीड़ित प्रतिकर योजना के संबंध में भी प्रतिभागियों को जानकारी दी।



कार्यशाला में बताया गया कि पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत लैगिंक अपराधो से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों चाहे वो लड़का हो या लड़की जिनके साथ किसी भी तरह का लैगिंक शोषण हुआ हो या करने का प्रयास किया गया हो तो वह इस कानून के दायरे में आता है।


कानून अंतर्गत बच्चो को अपराधो से सुरक्षा प्रदान करता है। पॉक्सो एक्ट का कानून 14 नवम्बर 2014 से पूरे देश में लागू है। पॉक्सो कानून का उल्लंघन होने पर जितनी जल्दी संभव हो एफआईआर दर्ज कराई जाए। पुलिस अधिकारी बच्चे की पहचान सार्वजनिक रूप से या मीडिया के सामने नहीं करेंगे तथा न्यायालय की आज्ञा के बिना बच्चे के संबंध में जानकारी नहीं दी जायेगी।


मीडिया के द्वारा किसी भी माध्यम से बच्चे की गोपनीयता को भंग नहीं किया जा सकता है। शोषण से पीड़ित बच्चे का नाम, पता, फोटो चित्र, परिवार का ब्यौरा, विद्यालय का नाम पता आदि किसी भी माध्यम से बच्चे की गोपनीयता को भंग नही किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति के द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह 6 माह से लेकर एक वर्ष तक की सजा एवं जुर्माने से दंडनीय होगा।


इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यदि कोई बच्चा शोषण का शिकार हुआ हो और इस संबंध में किसी को बताने से डरता है तो वो अपनी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के माध्यम से दे। कार्यशाला में पॉक्सो एक्ट के संबंध में श्याम शर्मा विधि सह परिवीक्षा अधिकारी द्वारा प्रस्तुतीकरण किया गया।



कार्यशाला में संयुक्त आयुक्त विकास राजेन्द्र सिंह, संयुक्त संचालक शिक्षा संतोष त्रिपाठी, आदिवासी विकास उपायुक्त जेपी यादव, संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास शिवकुमार शर्मा सहित अन्य विभागो के संभाग स्तरीय अधिकारी, बैतूल, हरदा एवं होशंगाबाद जिले के किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, महिला अपराध शाखा के पदाधिकारी, छात्रावासो के अधीक्षक, कोचिंग सेंटर एवं निजी विद्यालयों के संचालक, बाल देखरेख संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।