नरसिंहपुर। राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत अंतरविभागीय समन्वय कार्यशाला का आयोजन कलेक्टर दीपक सक्सेना की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में किया गया। कार्यशाला में डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया आदि रोगों से बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया गया।
कलेक्टर ने कहा कि उन क्षेत्रों/ गांवों पर अधिक ध्यान दिया जावे, जहां पहले मलेरिया के अधिक रोगी पाये गये थे। इन क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दें। कलेक्टर ने झोलाछाप डॉक्टरों के विरूद्ध कार्रवाई करने के निर्देश भी बैठक में दिये।
इस अवसर पर अपर कलेक्टर मनोज ठाकुर, अनुविभागीय राजस्व अधिकारी महेश कुमार बमनहा, जीसी डेहरिया, आरएस राजपूत व राजेश शाह, डिप्टी कलेक्टर संघमित्रा बौद्ध, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनीता अग्रवाल, सभी जनपदों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी और अन्य अधिकारी मौजूद थे।
कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. विजय तुरकर ने राष्ट्रीय वाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया रोग नियंत्रण एवं बचाव के लिए पॉवर प्वाइंट प्रजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दी।
कार्यशाला में मच्छरों से होने वाली बीमारियों डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया के कारणों के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि छतों पर रखी पानी की टंकियों, बेकार पड़े टायरों में जमा पानी, कूलर में जमा पानी तथा किचन गार्डन, फब्बारों, गमलों, फूलदानों, टूटे बर्तनों, मटकों, कुल्हड़ों व बगैर ढके रखे बर्तनों में जमा पानी में मच्छर पैदा होते हैं।
डॉ. तुरकर ने बताया कि मच्छरों को पैदा होने से कैसे रोका जा सकता है। इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। बताया गया कि पानी का जमाव रोका जावे, साफ- सफाई रखी जावे, घर के बर्तनों में भी दिन से अधिक समय तक पानी जमा करके नहीं रखा जावे।
कार्यशाला में बताया गया कि डेंगू एवं चिकुनगुनिया एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज मच्छर केवल साफ पानी में ही पैदा होता है। इसकी उत्पत्ति को रोकना और मच्छर पैदा करने वाली परिस्थितियों को समाप्त करना जरूरी है। सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों से अपेक्षा की गई कि वे अपने कार्यालय परिसर में एडीज/ मच्छर के लार्वा की उत्पत्ति नहीं होने दें। जनसामान्य में डेंगू, चिकुनगुनिया फैलाने वाले एडीज मच्छर से बचाव के बारे में जागरूकता बढ़ायें।
एडीज मच्छर के लार्वा जो बरसात के दौरान घरों के आसपास, घरों में सात दिन से अधिक समय तक रखे खुले पानी में, टंकी, मटके, कूलर, छत पर रखे अनुपयोगी सामान टायरों, डिब्बों, बैरल, टंकियों आदि में पैदा होता है। इसकी रोकथाम के बारे में जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। गम्बूसिया मछली के माध्यम से भी मच्छरों की रोकथाम की जा सकती है। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करने की सलाह दी गई।
कार्यशाला में बताया गया कि सर्दी व कम्पन के साथ तेज बुखार, उल्टियां और सिरदर्द होना, पसीना आकर बुखार उतरना, बुखार उतरने के बाद थकावट व कमजेरी होना मलेरिया के लक्षण हैं। यदि बुखार आये, तो तुरंत खून की जांच कराना चाहिये। मलेरिया की पुष्टि होने पर पूरा उपचार कराना चाहिये। खाली पेट दवा नहीं लेना चाहिये। खून की जांच एवं उपयोग की सुविधा सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों एवं आशा कार्यकर्ता के पास नि:शुल्क उपलब्ध है।