नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से निजात दिलाने वाले बिल को लोकसभा में रखा। इस बिल पर कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया।
इस बिल को संविधान विरोधी बताते हुए हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह संविधान के आर्टिकल १४ और १५ का उल्लंघन है। उन्होंने सवाल किया कि मोदी सरकार को मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी है तो केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं?
आखिर सबरीमाला पर आपका रुख क्या है?
उन्होंने कहा कि अगर किसी गैर मुस्लिम को केस में डाला जाए तो उसे एक साल की सजा और मुसलमान को तीन साल की सजा क्यों? क्या यह संविधान का उल्लंघन नहीं है?
उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल से सिर्फ मुस्लिम पुरुषों को सजा मिलेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मुस्लिम महिलाओं के हित में काम नहीं कर रही, बल्कि उन पर बोझ डाल रही है।
ओवैसी ने कहा कि तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि अगर कोई शख्स एक समय में तीन तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी। तीन तलाक बिल के प्रावधान के अनुसार, पति जेल चला जाएगा और उसे तीन साल जेल में रहना होगा। ऐसे में मुस्लिम महिला को गुजारा-भत्ता कौन देगा? क्या सरकार देगी?
ओवैसी ने सरकार से पूछा कि आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है? केरल की हिंदू महिलाओं से मोहब्बत क्यों नहीं है? क्यों आप सबरीमाला के फैसले के खिलाफ हैं? यह तो सरासर गलत हो रहा है।