बीना। बड़ी बजरिया जैन मंदिर में विराजमान ज्येष्ट मुनिश्री पवित्रसागर जी महाराज, मुनिश्री प्रयोगसागर जी महाराज धर्म की गंगा प्रवाहित कर रहे हैं। मुनि संघ के प्रतिदिन प्रातः 8ः30 बजे से 9ः30 बजे तक प्रवचन आयोजित किये जा रहे है।
मुनिश्री प्रयोगसागर जी महाराज ने 'समय के महत्व' पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए विशाल धर्म सभा को संबोधित किया। उन्होंने बताया कि हमें चातुर्मास के एक-एक पल का सदुपयोग कर लेना चाहिए। जो जितना सतसंग स्वाध्याय एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान मे शिरकत कर धर्म लाभ लेगा वह उतने ही जल्दी अपना कल्याण कर लेगा। खोया हुआ धन पुनः प्राप्त हो सकता है, परन्तु खोया हुआ समय पुनः प्राप्त नहीं हो सकता। समय बहुत कीमती है।
समय किसी का इंतजार नहीं करता। जीवन का एक एक पल बहुमूल्य है। लेकिन बिरले ही व्यक्ति समय की कीमत आँक पाते हैं। जिस तरह हीरे की कीमत जौहरी ही जानता है, उसी तरह समय की कीमत कोई महापुरूष ही कर पाता है। कुछ अभागे लोग गपशप में, ताश-पत्तों के खेल में, घूमने-फिरने में, हास्य-विलास में, इंद्रिय सुखों के भोग एवं काम-वासना की तृप्ति में और मोबाइल-व्हाट्सएप-इंटरनेट में समय को नष्ट कर देते है।
मुनिश्री ने कहा कि समय का तिरस्कार, मानव जीवन की प्रगति का तिरस्कार है। जो समय के महत्व को नहीं जानता, वह जीवन में महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन नहीं कर सकता। समय के सदुपयोग से व्यक्ति महान बन सकता है। एक क्षण भी बेकार न जाने देना और उसका सदुपयोग करना प्रगति का लक्षण है।
अज्ञान व आलस्यरूपी चोर मनुष्य के समय का अप8हरण करने में लगा हुआ है, उससे साबधान नहीं रहे, तो समझो जीवन की हार है। प्रत्येक कार्य या साधना उसके समय पर ही करें। जो अपने सभी कार्य समय पर करते हैं, उनके शरीर में स्फूर्ति, तन्दुरूस्ती और प्रसन्नता रहती है। वे बड़े से बड़े कार्य को थोड़े से समय में कर सकते हैं। धर्म कार्य में तो बिलम्ब कतई न करें।
मुनिश्री ने कहा कि अपने जीवन में जब कभी शुभ अवसर आवे, तो उसे हाथ से कभी न जाने दें, नही ंतो उम्र भर पछतावा रहेगा। अवसर को, शुभ समय को नहीं खोने वाले ही संसार के इतिहास में चमके हैं। अतः जीवन में जो कुछ भी करे, उसे बस समय पर होषपूर्वक करें। अवसर का ही दूसरा नाम समय है। जो वर्तमान में ही जीते हैं, भूत-भविष्य का नहीं सोचते और जो प्रतिपल जागरूक रहते हैं, वे ही अपने लक्ष्य को पाने में सफल हो सकते हैं।
समय और प्राण दोनों एक जैसे हैं, एक बार जाने के बाद वापस नहीं आते। महत्वपूर्ण कार्यों को ठीक समय पर न करना और व्यर्थ कार्यों में समय को बर्बाद करना भी जीवन-रस को सुखाने का एक कारण बना हुआ है। प्रवचन के पूर्व अभिषेक एवं शांतिधारा संपन्न हुई, आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के चित्र का अनावरण करने का परम सौभाग्य बाहर से आए श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ। ज्ञानदीप का प्रज्जवलन पाठशाला में अध्ययनरत नौनिहाल बच्चों ने किया। प्रवचन सभा का संचालन राजीव जैन एवं संकलन अशोक शाकाहार ने किया।