नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने पैरंट्स द्वारा जबरन दूसरी शादी कराए जाने पर पीड़ित महिला को उसके पहले पति के पास रहने की इजाजत दे दी है। महिला ने अपने पति से लव मैरेज की थी जिसके उसके परिवार वाले खुश नहीं थे। कोर्ट ने सरिता विहार थाने के एसएचओ को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दंपती को कोई नुकसान न पहुंचाए।
महिला दूसरे धर्म के एक शख्स से प्रेम करती थी और धर्म परिवर्तन के बाद इसी साल जून में उसने उससे शादी कर ली थी। हालांकि यह संबंध महिला के परिवारवालों को बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने महिला की किसी और से दूसरी शादी करवा दी।
मामला तब हाई कोर्ट पहुंचा, जब महिला के पहले पति ने बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कॉर्पस) याचिका दायर कर उसे अदालत के सामने पेश करने के लिए निर्देश दिए जाने की अपील की। कोर्ट में जब महिला को लाया गया तो बेंच ने उससे पूछा कि वह क्या चाहती है।
इस पर, उसने जबरन विवाह को लेकर याचिका में लगाए गए आरोपों को सही बताया। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल की बेंच ने कहा कि चूंकि महिला बालिग है, इसलिए कोर्ट का मानना है कि वह जहां ठीक समझती है, उसके साथ रह सकती है। इसी के साथ कोर्ट ने उसे पहले पति के साथ जाने की इजाजत दे दी।