नई दिल्ली, घर भी नहीं पहुंची कमांडो की लाश, आरोपी छूट गया (20पीआर29ओआई)

नई दिल्ली। मर्सिडीज की टक्कर से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगी एसपीजी के कमांडो नरेंद्र खटीक की मौत के मामले में उनके परिवार का कहना है कि यह कहां का इंसाफ है?


शव घर नहीं पहुंचा और आरोपी युवक को पुलिस ने जमानत पर छोड़ दिया। नरेंद्र के परिवार की मांग है कि उन्हें इंसाफ चाहिए। जिसने नरेंद्र की कार में टक्कर मारी, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। नरेंद्र के परिवार में पत्नी मधु देवी और दो बेटे हैं। माता-पिता और भाई भी हैं, लेकिन अपने परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी नरेंद्र पर थी। उनकी पत्नी का कहना है कि वह अभी गांव से आई हैं।


उन्हें शुक्रवार सुबह ९-९:३० बजे के आसपास साहब ने फोन करके जानकारी दी। हमें इंसाफ चाहिए।
नरेंद्र के बड़े भाई दिनेश कुमार का कहना है कि शुक्रवार सुबह बस यह फोन आया था कि आपके भाई का ऐक्सिडेंट हो गया है, आ जाइए। उन्होंने कहा, मेरे भाई की मौत हो गई और आरोपी को एकदम जमानत मिल गई, यह बहुत गलत है। इस मामले में पता लगा है कि नरेंद्र और सीआरपीएफ के अन्य दोनों सिपाही गुरुवार रात लाजपत नगर से शॉपिंग करके अपने सरकारी क्वॉर्टर जा रहे थे। कार विनोद चला रहे थे।


उनके साथ वाली सीट पर नरेंद्र बैठे थे। पीछे बाबूलाल यादव थे। सिपाही विनोद ने बताया कि उन्होंने ग्रीन लाइट से गाड़ी निकाली थी। इसी दौरान दूसरी ओर से रेड लाइट जंप करती हुई मर्सिडीज ने उनकी कार में टक्कर मार दी। हमारी कार सिरी फोर्ट ट्रैफिक सिग्नल पर थी। पुलिस को पीसीआर कॉल भी उन्होंने ही की थी। मामले में पुलिस का कहना है कि इस तरह के ऐक्सिडेंट में कानून में ही पुलिस को जमानत लेने का प्रावधान है।


ऐसे में हम आरोपी को कैसे गिरफ्तार करके जेल भेज सकते हैं। हमने आरोपी की मेडिकल जांच कराई, उसमें नशे की बात नहीं आई। उसके पास ड्राइविंग लाइसेंस भी था। बाकी दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। दोनों कारों को जब्त कर लिया है। घटना में सीआरपीएफ के तीनों जवानों में से एक नरेंद्र की मौत हो गई। विनोद और बाबूलाल को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई थी। तीनों को एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया था। कार विनोद कुमार की थी।