बेंगलुरु। इंफर्मेशन टेक्नॉलाजी, स्टार्टअप और एसएमई सेक्टर की कम से कम 42 प्रतिशत कंपनियों के लिए अच्छे टेक कैंडिडेट की भर्ती करना बड़ी चुनौती बनी हुई है।
यह जानकारी टैलेंट का आकलन करने वाली फर्म की रिपोर्ट से मिली। इस रिपोर्ट में 200 से अधिक कंपनियों के 350 टॉप एग्जिक्यूटिव का सर्वे किया है। इन कंपनियों में 40 प्रतिशित एसएमई, 30 प्रतिशत स्टार्टअप और बाकी बड़ी आईटी सर्विसेज फर्म थीं। करीब 25 प्रतिशत रिक्रूटर्स ने कहा कि हायरिंग में बजट की कमी दूसरी बड़ी चुनौती है।
रिपोर्ट के मुताबिक,32 प्रतिशत से अधिक कंपनियों को भर्ती के दौरान सही आकलन के लिए टूल्स की जानकारी नहीं है। 12 प्रतिशत कंपनियों का कॉम्पिटेंसी फ्रेमवर्क तैयार नहीं है और लगभग 21 प्रतिशत कंपनियां कैंडिडेट्स की छंटनी के लिए फेस-टू-फेस इंटरव्यू पर निर्भर हैं। इसकारण भर्ती की प्रक्रिया लंबी खिंच जाती है और कंपनियां कैंडिडेट खो देती हैं।
केवल 18 प्रतिशत फर्में रेज्यूमे की छंटनी के लिए आर्टिफिशल टेक्नॉलाजी पर आधारित तकनीकों का इस्तेमाल करती हैं। 85 प्रतिशत कंपनियों का टेक कॉम्पिटेंसी फ्रेमवर्क ठीक से तैयार है। वे भर्ती की प्रक्रिया के दौरान टेक्नॉलॉजी टूल्स का इस्तेमाल कर 69 प्रतिशत सक्सेस रेट सुनिश्चित करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक,टेक्नॉलाजी टूल से रिक्रूटर को भर्ती का समय एक हफ्ते तक घटाने में मदद मिलती है।
लगभग एक चौथाई (23 प्रतिशत) रिस्पॉन्डेंट ने बताया कि वे भर्ती के लिए एंप्लॉयी रेफरल पर निर्भर करती हैं। 22 प्रतिशत जॉब पोर्टल और फोरम का सहारा लेती हैं। 12 प्रतिशत कंपनियां कैंपस हायरिंग करती हैं,जिनका टेक कैंडिडेट की भर्ती में सबसे अधिक सक्सेस रेट 67 प्रतिशत रहा है। 20 प्रतिशत कंपनियां टेक स्किल के आधार पर और 18 प्रतिशत सुधार की गुंजाइश को ध्यान में रखकर कैंडिडेट्स का चयन करती हैं।
फर्मों ने बताया कि हायरिंग की प्रक्रिया में उन्हें उन प्रतिद्वंद्वियों से टक्कर मिलती है, जो बेहतर पे पैकेज देती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक,60 प्रतिशत कैंडिडेट ने बेहतर पैकेज के लिए जॉब ऑफर ठुकराते हैं। रिक्रूटर्स ने यह भी बताया कि एक ही वित्तवर्ष में एक ही पोजिशन के लिए भर्ती करने का आंकड़ा 23 प्रतिशत रहा। पैसे और काम की क्वॉलिटी के मुताबिक कैंडिडेट जॉब ऑफर स्वीकार करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों ने भर्ती प्रक्रिया बेहतर बनाने के लिए असेसमेंट के कई तरीके अपनाए हैं। जैसे की कॉम्पिटेंसी फ्रेमवर्क के आधार पर भर्ती,सोर्सिंग के लिए हैकाथॉन, प्री स्क्रीनिंग (पहले स्तर की छंटनी) के लिए ऐप्लिकेशन ट्रैकिंग सिस्टम, छंटनी के लिए स्किल और पर्सनैलिटी का आकलन, सिलेक्शन के लिए वर्चुअल विडियो इंटरव्यू। इन तरीकों से प्रक्रिया आसान, तेज, बेहतर और ज्यादा प्रॉडक्टिव बन जाती है।