(कहानी सच्ची है) पशुओं की सेवा कर अरविंद कमा रहे रोजाना 1000 से 1200 रूपये


सागर। यह कहानी है अरविन्द कुर्मी ग्राम बटयावदा विकासखण्ड राहतगढ़ जिला सागर निवासी की। उनके परिवार में कुल 1.40 हैक्टेयर कृषि भूमि है।


श्री अरविंद बताते है कि वह और उनका परिवार पिछले कई वर्षाें से खेती में केवल फसलोत्पादन का कार्य करते थे। उन्हें खेती से ज्यादा उत्पादन प्राप्त नहीं हो पा रहा था एवं अपनी आजीविका चलाने में कठिनाई हो रही थी। परिवार आर्थिक तंगी में चल रहा था। ऐसी स्थिति को देखते हुए उन्होंने निष्चय किया कि खेती में फसलोत्पादन के अतिरिक्त पषुपालन को मुख्य व्यवसाय के रूप में स्थापित करेंगे। 



क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री एमएल विष्वकर्मा से संपर्क किया। उन्हें अपनी पषुपालन करने की इच्छा से अवगत कराया। श्री विष्वकर्मा द्वारा उन्हें कृषि विभाग विकासखण्ड राहतगढ़ की आत्मा परियोजना में कार्यरत बीटीएम/एटीएम तथा कृषि विज्ञान केन्द्र, सागर में कार्यरत पषुपालन वैज्ञानिक से मिलने की सलाह दी गई। 



कृषि विभाग की आत्मा परियोजना के बीटीएम श्री दीपेष मोघे एवं सहायक तकनीकी प्रबंधक श्री अषीष पटैल से संपर्क किया। दोनों अधिकारियों ने पषुओं की उन्नत नस्लों की जानकारी दी। साथ ही उनकी मुलाकात कृषि विज्ञान केन्द्र सागर की पषुपालन वैज्ञानिक डा. श्रीमती विवेकिन पचौरी से कराई। जिनके तकनीकी मार्गदर्षन में अपनी डेयरी को स्थापित करने की ठानी। ग्राम बटयावदा के निकट ग्राम रमपुरा में दुग्ध उत्पादक समिति के सदस्य बने।


समिति के माध्यम से दूध को बाजार मे बेचा जाता है। उनके पास मुर्राह एवं देषी नस्ल की 6 भैंसे तथा जर्सी एवं देषी नस्ल की 6 गायें है, साथ ही 3 नवजात पषु है। जिन्हें प्रतिदिन हरा, सूखा चारा, पषुआहार एवं मिनरल मिक्षचर दिया जाता है। कुल 70 से 74 लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन होता है। जिससे रोजाना 1000 से 1200 रूपये की शुद्ध आमदनी हो जाती है। 



पषुपालन से गोबर भी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता है जिसका गोबर की खाद बनाने में उपयोग किया जाता है। गोबर की खाद का कुछ उपयोग अपने खेत में तथा शेष मात्रा को अन्य जैविक खेती करने वाले किसानों को बेच देते है जिससे अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो जाती है।



श्री अरविंद आज एक सफल डेयरी का संचालन कर रहे है। सभी अधिकारी उनके डेयरी फार्म का भ्रमण कर चुके है। विभागीय अधिकारियों के संपर्क में आकर व्यवसाय को बढ़ाने में उन्हें प्रोत्साहन मिला है ओर वे ग्राम के बेरोजगार युवाओं को पषुपालन व्यवसाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है।