मोदी सरकार का यह फैसला भारत के संघीय ढांचे पर बहुत बड़ा प्रहार 

नई दिल्ली। कश्मीर पर मोदी सरकार के संकल्प का विरोध करते हुए कांग्रेस के सदस्य मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा कि संसद में आज जो हो रहा है, यह त्रासदी है।


तिवारी ने कहा कि 1952 से लेकर जब जब नए राज्य बनाये गये हैं या किसी राज्य की सीमाओं को बदला गया है तो बिना विधानसभा के विचार-विमर्श के नहीं बदला गया है। तिवारी ने कहा कि भारतीय संविधान में केवल अनुच्छेद 370 नहीं है। इसमें अनुच्छेद 371 ए से आई तक है। वे नागालैंड, असम, मणिपुर, आंध्र, सिक्किम आदि को विशेष अधिकार प्रदान करते हैं। आज जब आप धारा 370 को समाप्त कर रहे हैं, तो आप इन राज्यों को क्या संदेश भेज रहे हैं?


उन्होंने कहा कि कि आप कल अनुच्छेद 371 को निरस्त कर सकते हैं? उत्तर पूर्वी राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने और संसद में उनकी विधानसभाओं के अधिकारों का उपयोग करके, आप अनुच्छेद 371 को भी रद्द कर सकते हैं? आप देश में किस तरह की संवैधानिक मिसाल कायम कर रहे हैं? मनीष तिवारी ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के विलय के लिए कुछ वादे किए थे। उन्होंने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर का विलय और रक्षा नेहरू सरकार ने की थी। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह की दस वर्षों तक रही सरकार ने कोई असंवैधानिक काम नहीं किया।


 
सांसद तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विलय में अनुच्छेद 370 और संविधान शामिल है। 370 का मतलब है कि राज्य के लोगों से सलाह-मशविरा किया जाए। लेकिन आज विधानसभा नहीं है। धारा तीन ये नहीं कहती है संसद किसी भी राज्य की सीमाएं तय करने का फैसला करे। जम्मू-कश्मीर को पुनर्गठन का फैसला धारा 3 के खिलाफ है। तिवारी ने कहा बिना संवैधानिक सभा के अनुच्छेद 370 को खारिज नहीं किया जा सकता है।


उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का एक अलग संविधान है जो 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था तो उसका क्या होगा। क्या सरकार उसके लिए सरकार अलग से विधेयक लेकर आएगी। तिवारी ने कहा कि यह पहला मौका है जब किसी प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया है। यह भारत के संघीय ढांचे पर बहुत बड़ा प्रहार है।


अगर आज जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर आज भारत का हिस्सा हैं तो वह पंडित जवाहर लाल नेहरू के कारण हैं। इसके बाद अमित शाह ने कहा कि मनीष तिवारी जी ने कहा कि यह बताया ही नहीं कि वह अनुच्छेद 370 के पक्ष में या खिलाफ। इस पर तिवारी ने कहा कि अगर आप बिना संवैधानिक असेंबली की सहमति से धारा हटाएंगे तो यह बिलकुल गलत है, उम्मीद है कि आप समझ गए है।