मोदी सरकार ने एफडीआई के लिए बिछाया रेड कारपेट, मंदी से निपटने की तैयारी

 नई दिल्ली। देश में अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती से निपटने और विकास को रफ्तार देने के लिए केंद्र सरकार ने कोयला-खनन,


कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग तथा डिजिटल मीडिया सेक्टर में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मंजूरी दी। इसके साथ ही, देश में निवेश के लिए ग्लोबल ब्रैंड्स को आकर्षित करने के मकसद से सिंगल ब्रैंड रिटेल के नियमों में भी छूट दी है। यह कदम केंद्रीय वित्तमंत्री द्वारा अर्थव्यवस्था में सुस्ती से निपटने को लेकर पिछले दिनों कई घोषणाएं करने के बाद सामने आया है। वित्तमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं का मकसद नए वेंचर्स में निवेश को बढ़ावा देना है, क्योंकि घरेलू कंपनियों ने अत्यधिक उत्पादन क्षमता का हवाला देकर सुविधाओं में विस्तार से मना कर दिया है। 



सिंगल ब्रैंड रिटेल में नियमों को आसान बनाने से अंतरराष्ट्रीय कंपनियों जैसे जापानी रिटेलर यूनिकलो को मदद मिलेगी, जिस स्टोर खोलने में दो साल का वक्त लगेगा, लेकिन इस अवधि में वह अपने उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री कर सकती है। हालांकि, स्वीडन की फर्नीचर कंपनी आइकिया के मामले में ऐसा नहीं था, क्योंकि वह तबतक ऑनलाइन बिक्री नहीं कर सकती थी,


जबतक कि आइकिया हैदराबाद में अपना स्टोर नहीं खोला। इसी तरह, कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग में 100 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी प्रदान कर सरकार दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक कंपनी एप्पल जैसी कंपनी से निवेश आकर्षित करने की उम्मीद कर रही है, जो अब तक विशेष रियायतों की मांग कर रही थी। कोयला खनन क्षेत्र में एफडीआई के नियमों में बदलाव से बीएचपी, बिलिटन,


शिन्हुआ ग्रुप तथा ऐंग्लो अमेरिकन पीएलसी जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों के भारत में निवेश की उम्मीद है, जिन्हें खनन कर निकले कोयले को बेचने की मंजूरी मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में से कुछ भारतीय


कंपनियों को ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनाने के अलावा, भारत को अधिक से अधिक हाई प्रोफाइल बिजनस को आकर्षित करने में मदद मिलेगी। सरकार का यह कदम उस समय में सामने आया है, जब कंपनियां चीन के बाहर अपना कारोबार स्थापित करने के मौके तलाश रही हैं।