अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षों की ओर से बहस कर रहे वकील राजीव धवन ने रखा पक्ष

नई दिल्ली। अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में मुस्लिम पक्षों की ओर से बहस शुरू हुई।


कपिल सिब्बल ने मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई की मांग की। जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी। धवन 88 साल के प्रोफेसर के ऊपर अवमानना की कार्रवाई चाहते हैं। प्रोफेसर ने उन्हें चिट्ठी भेज कर श्राप दिया था। धवन इस न्यायिक काम में बाधा की कोशिश बता रहे हैं।


कपिल ने राजीव धवन की तरफ से दायर अवमानना याचिका का ज्रिक किया। सिब्बल ने कहा कि धवन को कई बार धमकी मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई का भरोसा दिया। राजीव धवन ने कोर्ट से सप्ताह के बीच मे बुधवार को खुद के लिए ब्रेक की मांग की। धवन ने कहा कि उनके लिए लगातार दलीलें देना मुश्किल होगा। सीजेआई ने कहा कि इससे कोर्ट को परेशानी होगी। आप चाहे तो शुक्रवार को ब्रेक ले सकते हैं। 



अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने कहा कि स्वयंभू का मतलब भगवान का प्रकट होना होता है,इस किसी खास जगह से नही जोड़ा जा सकता है, हम स्वयंभू और परिक्रमा के दस्तावेजों पर भरोसा नहीं कर सकते। राजीव धवन ने कहा कि बाबर के विदेशी हमलावर होने पर वहां कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि फिर तो आर्यो को लेकर भी जिरह करनी होगी, मैं साबित करने के लिए जिरह करूंगा कि वहां मस्ज़िद थी


राजीव धवन ने कहा कि आप कौन का कानून यह पर लागू करेगा, क्या हमको वेदों और स्कंद पुराण को लागू करना चाहिए। राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट को धर्म ने न्याय, साम्यता और शुद्ध विवेक-व्यवस्था और कुछ यात्रियों का संक्षिप्त कॉम्पलीकेशन दिया। मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा कि प्रायिकता का पूर्व विस्तार दर्शाता है कि विवाद में भवन औरंगजेब के कार्यकाल के दौरान बनाया गया था,क्योंकि अकबर, शाहजहां या हुमायूं के शासनकाल में इसकी रचना नहीं हो सकती थी।


राजीव धवन ने कहा कि हिन्दू पक्ष की तरफ से भारत आने वाले यात्रियों की हवाला देकर कहा कि उन यात्रियों ने मस्जिद के बारे में नहीं लिखा है, क्या इस आधार पर यह मान लिया जाए कि वह मस्जिद नहीं थी, मारको पोलो ने अपनी किताब में चीन की दीवार के बारे में लिखा था। धवन ने कहा कि हम इस मामले में किसी अनुभवहीन इतिहासकार की बात को नहीं मान सकते है, हम सभी अनुभवहीन ही है। डी वाई चंद्रचूर्ण ने कहा कि आप ने भी कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य दिए है कोई ऐसा साक्ष्य है जिस पर दोनों ने भरोसा जताया हो।



राजीव धवन ने कहा कि मोर, कमल जैसे चिन्ह का मिलना ये साबित नहीं करता कि वहां मंदिर था और कहा जा रहा है कि विदेशी यात्रियों ने मस्ज़िद का ज़िक्र नहीं किया। लेकिन मार्को पोलो ने भी तो चीन की महान दीवार के बारे में नहीं लिखा था, मामला कानून का है।


मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा रामलला के वकील वैद्यनाथन ने अयोध्या में लोगों द्वारा परिक्रमा करने संबंधी एक दलील दी। लेकिन कोर्ट को मैं बताना चाहता हूं कि पूजा के लिए की जाने वाली भगवान की परिक्रमा सबूत नहीं हो सकती। जांच शुरू कर दी है। अब्दुल काशीम को कोलकाता के एलडी चीफ मेट्रोपॉलिटेन मैजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा।