नए मोटर वाहनों एक्ट  ट्रैफिक टेररिज्म नहीं, लोगों की सुरक्षा के लिए जरुरी 

नई दिल्ली। देशभर में नए मोटर वाहनों एक्ट लागू होन के बाद से ट्रैफिक नियम तोड़ने पर लगाने वाले भारी जुर्माने को कुछ लोग ट्रैफिक टेररिज्म बोल रहे है।


इसतरह के लोगों को देशभर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की जानकारी होना बेहद ज़रूरी है। भारत सरकार के परिवाहन मंत्रालय द्वारा जारी 2017 के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर घर घंटे 53 एक्सीडेंट होते है जिसमे हर रोज 17 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है। देश में हर रोज 1274 एक्सीडेंट होते है जिसकी वजह से 405 लोगों की मौत हर रोज़ होती है। 2017 में 4 लाख 64 हज़ार 910 सड़क हादसे हुए थे जिसमें 1 लाख 47 हजार 913 लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 4 लाख 70 हजार 975 लोग घायल हो गए थे। पूरे देश में 2017 में सबसे ज्यादा सड़क हादसे तमिलनाडु में हुए जबकि सबसे ज्यादा मौते उत्तरप्रदेश में दर्ज की गई। 



साल 2017 में तमिलनाडु में 65562 एक्सीडेंट हुए है, जबकि दूसरे नंबर नए मोटर विहीकल एक्ट को ना लागू करने वाले मध्यप्रदेश आता है जहां 2017 में 53399 सड़क हादसे हुए है। तीसरा नंबर कर्नाटक का है जहां 42542 एक्सीडेंट हुए है। सड़क हादसों में सबसे ज्यादा अपनी जान गवाने वाले उत्तरप्रदेश में 2017 में  38783 एक्सीडेंट हुए है। केरला सड़क हादसों के मामले में पांचवे नंबर पर आता है जहां साल 2017 में 38470 एक्सीडेंट हुए है।


दिल्ली में ट्रैफिक पुलिस वालों की संख्या क़रीब साढ़े 5 हज़ार है,इसकारण दिल्ली में सड़क हादसों की संख्या बाकी राज्यों के मुकाबले काफी कम है। नए मोटर वाहन एक्ट कानून का मकसद लोगों के अंदर ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूकता लाना और नियम तोड़ने पर भारी जुर्माने का खौफ भी पैदा करना है।


इस असर दिखाई भी दे रहा हैं, दिल्ली में ही अबतक एक हफ्ते में होने वाले ट्रैफिक चालानों की संख्या में करीब 70 प्रतिशत की कमी आ गई है। सरकार के आंकड़ों में भले ही सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या 1 लाख 48 हज़ार के करीब है लेकिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ो पर भरोसा करें तो ये आंकड़ा 2 लाख 99 हज़ार से ज्यादा है।  दुनिया भर में होने वाले सड़क हादसों पर नजर डाले तो सबसे ज्यादा मौते रशिया में होती है दूसरे नंबर में भारत का नंबर आता है।